भारत छोड़ो आंदोलन में शहीदों का एक अध्ययन (विशेष संदर्भ, आष्टि गाँव, वर्धा, जिला, महाराष्ट्र)
प्रवीण पाठक
अगस्त १९४२ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अंग्रेजो को “भारत छोड़ो” की चुनौती दी और इन्हें भारत छोड़ने पर मजबूर करने के लिए अभूतपूर्व स्तर पर जनांदोलन छेड़ दिया। भारत छोड़ो आंदोलन एक सशक्त ज्वार की भाँति सारे देश में फैल गया। उसने समाज के सभी वर्गो के लोगों को अपने में समेत कर उनमें देशभक्ति की उत्कट भावना और देश के लिए मर मिटने की अदम्य लालसा पैदा कर दी। मध्य प्रांतो में दो स्थानो पर विशेष विद्रोह हुआ। वो स्थान थे। आष्टि और चिमुर में जहाँ पर लोगो ने भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिए इनमें से सबसे अधिक प्रभावित आष्टि गावँ हुआ था जहाँ के लोगों ने एक पुलिस चैकी पर सत्याग्रह करने का निश्चय किया जिसमें कुछ पुलिस वालों की बाद में हत्या हो गई। इस आष्टि गावँ के सैकड़ों लोगो को ब्रिटिश सरकार ने सजा दिया। भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आष्टि गाँव पर भी पड़ा। आष्टि तालुका जो शहीदों की भूमि के नाम से जाना जाता हैं। आष्टि वर्धा से पचास मिल की दूरी पर हैं। भारत छोड़ो आंदोलन में एक प्रमुख स्थान रखता हैं।
प्रवीण पाठक. भारत छोड़ो आंदोलन में शहीदों का एक अध्ययन (विशेष संदर्भ, आष्टि गाँव, वर्धा, जिला, महाराष्ट्र). International Journal of Advanced Research and Development, Volume 2, Issue 1, 2017, Pages 106-109